Sunday 9 September 2018

Do what you like to do – वह करो जो आप करना चाहते हो Safalta Aapki























Do what you like to do – वह करो जो आप करना चाहते हो

आज राजेश और पल्लवी  के घर ख़ुशी का माहौल था और हो भी क्यों नहीं आज 5 साल बाद उनके घर बेटे का जन्म जो हुआ है | दोनों उसका नाम सोचने में लग गए और finally उसका नाम रखा गया लक्ष्य | राजेश और पल्लवी अपनी संतान के बारे में कई सपने भी देख रखे हैं वो  दोनों ने पहले से ही सोच रखा है वो अपने बेटे को Doctor  बनाएंगे |
जैसे ही लक्ष्य 4 साल का हुआ उसका admission शहर के अच्छे School  में करा दिया गया | लक्ष्य बचपन से ही बहुत ही अच्छी Painting बनाता | किसी को यकीन ही नहीं होता की ये पेंटिंग 4 साल के बच्चे ने बनायीं है |
लक्ष्य पढ़ने में भी बहुत अच्छा था | हमेशा Class में 1st आता | क्लास 11 में उसे subjects select करने थे | न चाहते हुए भी उसे biology लेनी पढ़ी . क्यों की उसके parents चाहते थे की वह doctor बने , पर वह एक painter बनना चाहता था . लक्ष्य ने अपने पेरेंट्स से बात भी , की वह doctor नहीं बनना चाहता | पर   उसके पेरेंट्स ने साफ साफ कह दिया वो उसे पेंटिंग में अपना Future खराब नहीं करने देंगे | मज़बूरी मे लक्ष्य को अपने पेरेंट्स की बात मन्नी पढ़ी | लक्ष्य का पढ़ाई में प्रदर्शन  पहले से कुछ खराब हो गया .  क्लास 12 करने के बाद लक्ष्य को Medical College में Admission लेना पढ़ा | और पढ़ाई पूरी करके लक्ष्य ने अपना Clinic भी खोल लिया | कुछ समय बाद लक्ष्य की शादी भी हो गयी और एक बेटी भी | पर उसके मन कही न कही अपना मुख्य लक्ष्य पेंटिंग करना सिर्फ सपना बन गया | पर अब लक्ष्य के जीवन का लक्ष्य था | जो काम वो नहीं कर सका वो उसकी बेटी करे | और लक्ष्य अपनी बेटी को एक Painter बनाना चाहता था , यह जाने बिना की उसकी बेटी क्या बनना चाहती है |

दोस्तों हम इस तरह की पहले भी कई बात सुन और पढ़ चुके होंगे | कई Movie भी देखि होंगी जैसे 3 Idiots , Taare zameen par | पर  जब असलियत में अपने बच्चों पर apply करने  की बात आती है , हम अपने बच्चों को दूसरों सेcompaire करने लगते है या सोचने लगते है जो काम हमने नहीं किया वो बच्चे करें | या समाज क्या कहेगा आदि आदि | अभी ज़रूरत है अपने बच्चों को पूरी समझ देने की और उन्हें उनके पसंद का career select करने की आज़ादी देनी की |

अगर हम जीवन में सफल होना चाहते है (सफल होना मतलब खुश रहना संतुष्ट रहना , जीवन का पूरा आनंद लेना न की सिर्फ पैसे कामना ) तो वही करे जो हमें पसंद हो . आपने कई लोगो के बारे में सुना होगा जिनका लोगो ने पहले बहुत मज़ाक उड़ाया. पर आज सब उन्ही की तरह बनना चाहते है . जैसे सचिन तेंदुलकर , लता मंगेशकर , संदीप माहेश्वरी , आदि आदि अगर उनके पेरेंट्स भी उन्हें किसी और फील्ड में जाने के लिए वाद्य करते तो उनका क्या होता आप खुद ही सोच सकते है .

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