Monday 24 December 2018

वह करो जो आप करना चाहते हो - Safalta Aapki


वह करो जो आप करना चाहते हो - Safalta Aapki

आज राजेश और पल्लवी  के घर ख़ुशी का माहौल था और हो भी क्यों नहीं आज 5 साल बाद उनके घर बेटे का जन्म जो हुआ है | दोनों उसका नाम सोचने में लग गए और finally उसका नाम रखा गया लक्ष्य | राजेश और पल्लवी अपनी संतान के बारे में कई सपने भी देख रखे हैं वो  दोनों ने पहले से ही सोच रखा है वो अपने बेटे को Doctor  बनाएंगे |
जैसे ही लक्ष्य 4 साल का हुआ उसका admission शहर के अच्छे School  में करा दिया गया | लक्ष्य बचपन से ही बहुत ही अच्छी Painting बनाता | किसी को यकीन ही नहीं होता की ये पेंटिंग 4 साल के बच्चे ने बनायीं है |
लक्ष्य पढ़ने में भी बहुत अच्छा था | हमेशा Class में 1st आता | क्लास 11 में उसे subjects select करने थे | न चाहते हुए भी उसे biology लेनी पढ़ी . क्यों की उसके parents चाहते थे की वह doctor बने , पर वह एक painter बनना चाहता था . लक्ष्य ने अपने पेरेंट्स से बात भी , की वह doctor नहीं बनना चाहता | पर   उसके पेरेंट्स ने साफ साफ कह दिया वो उसे पेंटिंग में अपना Future खराब नहीं करने देंगे | मज़बूरी मे लक्ष्य को अपने पेरेंट्स की बात मन्नी पढ़ी | लक्ष्य का पढ़ाई में प्रदर्शन  पहले से कुछ खराब हो गया .  क्लास 12 करने के बाद लक्ष्य को Medical College में Admission लेना पढ़ा | और पढ़ाई पूरी करके लक्ष्य ने अपना Clinic भी खोल लिया | कुछ समय बाद लक्ष्य की शादी भी हो गयी और एक बेटी भी | पर उसके मन कही न कही अपना मुख्य लक्ष्य पेंटिंग करना सिर्फ सपना बन गया | पर अब लक्ष्य के जीवन का लक्ष्य था | जो काम वो नहीं कर सका वो उसकी बेटी करे | और लक्ष्य अपनी बेटी को एक Painter बनाना चाहता था , यह जाने बिना की उसकी बेटी क्या बनना चाहती है |

दोस्तों हम इस तरह की पहले भी कई बात सुन और पढ़ चुके होंगे | कई Movie भी देखि होंगी जैसे 3 Idiots , Taare zameen par | पर  जब असलियत में अपने बच्चों पर apply करने  की बात आती है , हम अपने बच्चों को दूसरों सेcompaire करने लगते है या सोचने लगते है जो काम हमने नहीं किया वो बच्चे करें | या समाज क्या कहेगा आदि आदि | अभी ज़रूरत है अपने बच्चों को पूरी समझ देने की और उन्हें उनके पसंद का career select करने की आज़ादी देनी की |

अगर हम जीवन में सफल होना चाहते है (सफल होना मतलब खुश रहना संतुष्ट रहना , जीवन का पूरा आनंद लेना न की सिर्फ पैसे कामना ) तो वही करे जो हमें पसंद हो . आपने कई लोगो के बारे में सुना होगा जिनका लोगो ने पहले बहुत मज़ाक उड़ाया. पर आज सब उन्ही की तरह बनना चाहते है . जैसे सचिन तेंदुलकर , लता मंगेशकर , संदीप माहेश्वरी , आदि आदि अगर उनके पेरेंट्स भी उन्हें किसी और फील्ड में जाने के लिए वाद्य करते तो उनका क्या होता आप खुद ही सोच सकते है .

Friday 21 December 2018

ज्यादा सोचने से कुछ न होगा || Safalta Aapki


ज्यादा सोचने से कुछ न होगा - safalta aapki

एक चीज जो मैंने अपने अनुभव से सीखी है – सफ़लता कभी भी आपको एक झटके में नहीं मिलती, अचानक ही आप अपने सपनों को पूरा नहीं कर सकते, अचानक ही आप अपने रिलेशनशिप्स को नहीं सुधार सकते, अचानक ही आप अपनी फिटनेस को नहीं बना सकते.

आपके पास एक प्लान होना चाहिए, आपको क्या पाना चाहते हैं, आप कहाँ जाना चाहते हैं, वहां तक आप कैसे पहुचेंगे, आपको कौन सा रास्ता पकड़ना पड़ेगा, आपको कितना समय लगेगा और आपको उसके लिए कितनी मेहनत करनी पड़ेगी, ये सब आपको पता होना चाहिए.



पानी हमेशा नीचे की तरफ बहता है पर मजबूत पेड़ हमेशा ऊपर की तरफ बढ़ते हैं . इंसान भी हमेशा ऊपर की तरफ उठना चाहता है, पर सोचिये – नदी में बहते हुए किसी टूटे पेड़ की टहनी के बारे में, वो किस तरफ जा रही होती है, जिस तरफ पानी का बहाव होता है मतलब नीचे की तरफ और अंत में वो कहाँ पहुँचती है वहां जहाँ नदी उसको ले जाती है, पता नहीं उसको कभी किनारा मिलेगा भी की नहीं और अगर मिलेगा भी तो क्या पता वो किनारा कैसा होगा…


जिंदगी भी इस नदी की तरह ही है, अगर आपको नहीं पता है की आपको कहाँ जाना है, आपकी मंजिलक्या है आपका लक्ष्य क्या है तो ये जिंदगी आपको अपने साथ साथ एक ऐसे सफ़र पर बहा ले जाएगी जहाँ ये नहीं पता चलेगा की आप कहाँ पहुंचने वाले हो, कहीं पहुंचोगे भी या नहीं, और अगर कहीं पहुंच भी गये तो किस हालत में पहुंचोगे.


इसलिए जिंदगी में एक सेट टारगेट का होना जरूरी है, बिना टारगेट के हम बहुत जल्दी अपना focus खो बैठते हैं, हर बिज़नस में एक मिशन स्टेटमेंट होता है, ये मिशन स्टेटमेंट बताता है की उस कंपनी का काम क्या है, उसका टारगेट क्या है, कितने समय में उसे वो टारगेट पूरा करना है और किस पोजीशन पर पहुँच कर उसका यह टारगेट पूरा होगा.


बिलकुल ऐसे ही जिंदगी में भी एक मिशन स्टेटमेंटहोना चाहिए, हमारा टारगेट क्या है, कितने समय में उसे पूरा करना है और कहाँ पर पहुचने के बाद वो पूरा होगा. ये सब प्लान करना होगा.


समय हमेशा चलता रहता है, जिंदगी आगे बढती रहती है और इसी के साथ हमारे टारगेट्स भी बदलते रहते हैं लेकिन एक बात समझ लो केवल टारगेट्स बदलना और टारगेट्स पूरा होने के बाद बदलना – इन दोनों में जमीन आसमान का अंतर है.

अगर जिंदगी के साथ साथ केवल आपके टारगेट्सबदलते जा रहे हैं तो समझ लो जिंदगी आपको अपने साथ बहा कर ले जा रही है और अगर टारगेट्स पुरे होने के बाद आप अपने नये टारगेट्स सेट कर रहें हैं तो आप जिंदगी को अपने हिसाब से चला रहें हैं.

तो आखिर में एक बार फिर आपको याद दिला देता हूँ – जिंदगी में कोई न कोई टारगेट होना जरूरी है बिना टारगेट की जीवन रूपी नदी आपको किस दिशा में बहा कर ले जाएगी ये कोई नही कह सकता .
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वो 5 बातें जो हर औरत को अपनी इंटिमेट हेल्थ के बारे में पता होनी चाहिए || Safalta Aapki

वो 5 बातें जो हर औरत को अपनी इंटिमेट हेल्थ के बारे में पता होनी चाहिए

क्या प्राइवेट पार्ट से स्मेल आना नॉर्मल है?

हमें अपने शरीर के अंगों के बारे में अच्छी-ख़ासी जानकारी रहती है. जैसे हमें पता है कि अगर दिल को स्वस्थ रखना है तो क्या खाना चाहिए. या अगर किडनी में पथरी है तो क्या करना चाहिए. पर बात जब वजाइना की आती है तो हमारी जानकारी थोड़ा कम पड़ जाती है. और इसी के चलते बहुत बार अपनी सेहत से समझौता भी करना पड़ता है. देखिए. कुछ बेसिक चीज़ें हैं जो हर औरत को अपनी वजाइना के बारे में पता होनी चाहिए. ये ज़रूरी बातें हमें डॉक्टर साधना काला ने बताई हैं. वो मूलचंद हॉस्पिटल दिल्ली में एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ हैं. जैसे:

पहली बात: हर वजाइना की अपनी एक स्मेल होती है

वजाइना नेचर में एसिडिक होती हैं. साथ ही उनमें पसीने वाली ग्रंथि भी होती हैं. पसीने की वजह से वजाइना की एक ख़ास तरह की स्मेल होती है. और इसमें कोई परेशानी या शर्मिंदगी वाली बात नहीं है. साथ ही आपके पीरियड साइकिल का असर भी आपकी वजाइना की स्मेल पर पड़ता है. महीने के कुछ दिनों में आपकी वजाइना ज़्यादा तेज़ स्मेल करती है. इसकी वजह हॉर्मोन्स, प्रेग्नेंसी, या सेक्स हो सकती है. पर इससे निपटने के लिए आपको मार्कैट में मौजूद किसी पर्फ्यूम या प्रोडक्ट इस्तेमाल करने की ज़रुरत नहीं है. आपकी वजाइना की एक पर्टिकुलर स्मेल है और इसमें कुछ अजीब बात नहीं.

दूसरी बात: क्या आपको वजाइनल वॉश का इस्तेमाल करना चाहिए



मार्केट में कई वजाइनल वॉशएज़ हैं जो आपके प्राइवेट पार्ट को साफ़ रखने का वादा करते हैं. पर सवाल है क्या आपको उन्हें इस्तेमाल करना चाहिए? जवाब है, हां. डॉक्टर साधना काला कहती हैं कि ये वॉशेज़ साबुन से ज़्यादा सेफ़ होते हैं. ये न सिर्फ वजाइना की सफ़ाई करते हैं बल्कि बैक्टीरिया को भी बढ़ने नहीं देते.

तीसरी बात: सेक्स की वजह से वजाइना स्ट्रेच नहीं होती

ये बहुत आम धारणा है कि सेक्स करने से वजाइना लूज़ हो जाती है. दरअसल वजाइना में मौजूद मास्पेशियां काफ़ी खिंच सकती हैं. वैसे भी सेक्स के दौरान वजाइना साइज़ में अपने आप बढ़ जाती है और बाद में साइज़ में घट जाता है. पर समय के साथ ये इलास्टिसिटी कमज़ोर नहीं होती. ये बस एक मिथ है.

चौथी बात: क्लाइटोरिस में शरीर की सबसे ज़्यादा शिराएं होती हैं

वजाइना की ओपनिंग के ठीक ऊपर एक छोटा सा मास का टुकड़ा होता है. इसका एक ही काम होता है सेक्स के दौरान महिला को सुख देना. क्लाइटोरिस में बाकी शरीर के अंगों के मुकाबले सबसे ज़्यादा शिराएं होती हैं. मतलब लगभग 8000.



पांचवी बात: वजाइना की मासपेशियों पर काम करने से ओर्गास्म अच्छा होता है

औरतों को ओर्गास्म इतनी आसानी से नहीं होता. ऐसा हम नहीं, साइंस कहता है. एक स्टडी के मुताबिक केवल 20 से 30 प्रतिशत औरतों को ही सेक्स के दौरान ओर्गास्म होता है. पर एक ख़ास तरह की एक्सरसाइज़ ये दिक्कत ठीक कर सकती है. इन्हें कीगेल कहते हैं. इसमें आपको ज़्यादा कुछ नहीं करना. बस अपनी वजाइना की मांसपेशियों को कसना है, थोड़ी देर रुकना है, और फिर छोड़ देना है.

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Wednesday 19 December 2018

इन 104 बच्चियों को पता ही नहीं था कि उनका यौन शोषण हुआ है, वीडियो दिखाने पर भेद खुला

इन 104 बच्चियों को पता ही नहीं था कि उनका यौन शोषण हुआ है, वीडियो दिखाने पर भेद खुला

एक सीक्रेट मिशन के तहत ये जानकारी सामने आई.

आए दिन हम ऐसे कई केस देखते और सुनते हैं, जहां छोटी-छोटी बच्चियों को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. जहां बच्चियों को ये पता भी नहीं होता कि उनके साथ जो हो रहा है वो सेक्शुअल हैरेसमेंट है. वो चुपचाप सहन करते जाती हैं. बिना कुछ कहे, एकदम चुप.

लेकिन अब इन बच्चियों ने बोलना शुरू कर दिया है. धीरे-धीरे ही सही, लेकिन बच्चियां सामने आने लगी हैं. अपने साथ हुए सेक्शुअल हैरेसमेंट की घटनाएं बताने लगी हैं. ये सब कुछ हो रहा है ईस्ट एमसीडी के स्कूलों में. ईस्ट एमसीडी यानी पूर्वी दिल्ली नगर निगम. इन स्कूलों में पढ़ने वाली करीब 104 बच्चियों ने बताया कि उनका यौन उत्पीड़न हुआ है.



ईस्ट एमसीडी ने एक मिशन शुरू किया है. मिशन 'पिंक हेल्थ'. इस मिशन का फोकस बच्चियों की हेल्थ पर है. एनिमिया वगैरह की जांच करना, सेनेटरी पैड्स देना और 'गुड टच-बैड टच' के बारे में बताना. अब बच्चियों को ये बताने के लिए कि उन्हें जो व्यक्ति छू रहा है, उसका टच गुड है या बैड, इसके लिए बच्चियों को फिल्म दिखाई जाती है. दो शॉर्ट फिल्म. कोमल और रिया.

जुलाई में शुरू हुआ मिशन



ईस्ट एमसीडी के स्कूलों में जुलाई से इस मिशन की शुरुआत हुई. पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अंदर टोटल 391 स्कूल हैं. टारगेट है अप्रैल तक सभी स्कूल कवर करने का. अभी तक करीब 100 स्कूल कवर किए जा चुके हैं.

इस मिशन को कामयाब बनाने के लिए ईवीजीसी रखे गए हैं. ईवीजीसी यानी एजुकेशनल वोकेशनल गाइडेंस काउंसलर. जिन्होंने साइकोलॉजी में एमए किया है, उन्हें ईवीजीसी बनाया गया है. टोटल 105 ईवीजीसी रखे गए हैं. जुवेनाइल जस्टिस कमेटी फॉर ड्रग एंड सब्सटांस एब्यूज के नोडल ऑफिसर हैं डॉक्टर अजल लेखी. इन्हीं के गाइडेंस में 105 ईवीजीसी काम कर रहे हैं.

कैसे हो रहा है काम?

ईवीजीसी ईस्ट एमसीडी के स्कूलों में जाते हैं. बच्चियों से बात करते हैं. उन्हें 'रिया और कोमल' फिल्म दिखाते हैं. फिल्म के जरिए बच्चियों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताने की कोशिश करते हैं. फिल्म देखने के बाद ईवीजीसी बच्चियों से पूछते हैं कि क्या कभी उनके साथ इस तरह की कोई हरकत हुई है? बच्चियां जवाब देती हैं. इस मिशन की वजह से जुलाई से लेकर अभी तक, माने केवल 5 महीनों में यौन उत्पीड़न के 104 केस सामने आ चुके हैं. 12 मामलों में आरोपियों कि गिरफ्तारी भी हो चुकी है. बाकी मामलों में कार्रवाई अभी प्रोसेस में है.



कैसे हुई इस अभियान की शुरुआत?

साल 2012 में दिल्ली में निर्भया केस हुआ था. उसी के बाद इस मुहिम की शुरुआत हुई. ऑडनारी की टीम ने डॉक्टर अजल लेखी से बात की. उन्होंने बताया, 'दिल्ली हाई कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी ये जानना चाहती थी कि पूरे देश को हिलाने वाले अपराधों में नाबालिग बच्चे कैसे शामिल हो जाते हैं. बच्चे कैसे छोटी उम्र में चोरी, रेप जैसे मामलों में शामिल हो जाते हैं. इसके लिए एक स्टडी कराई गई. जिसमें ये बात सामने आई कि ऐसे संगीन अपराधों के जो अपराधी होते हैं, वो बहुत ही कम उम्र से ड्रग्स लेने लग जाते हैं. उन्हें नशे की लत रहती है.'




उसके बाद क्या?

फिर दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया. ईवीजीसी रखने का आदेश. जुलाई में 105 ईवीजीसी का अपॉइंटमेंट हुआ. हर ईवीजीसी, यानी काउंसलर को ईस्ट एमसीडी के 7-8 स्कूलों की जिम्मेदारी दी गई. डॉक्टर लेखी ने आगे बताया, 'हर काउंसलर ईस्ट एमसीडी के स्कूलों में जाते हैं. नशे की लत से बच्चों को बचाने और यौन शोषण से बचाने के लिए काम करते हैं. फिल्म दिखाते हैं. बहुत सारी ट्रिक्स अपनाई जाती है, ताकि वो बच्चे सामने आ सकें, जिन्हें नशे की लत हैं. यौन शोषण पर फिल्में दिखाते हैं. महिला काउंसलर्स बच्चियों से बात करती हैं. बहुत ही ज्यादा शॉकिंग खुलासे हो रहे हैं. काउंसलर्स बच्चियों को बताते हैं कि उन्हें यौन शोषण पर चुप नहीं रहना चाहिए. खुलकर बात करनी चाहिए. पैरेंट्स को बताना चाहिए. वो न सुनें तो हेल्पलाइन नंबर 1098 पर कॉल घुमाना चाहिए.'

डॉक्टर लेखी ने बताया कि बहुत से केस में बच्चियों का यौन शोषण करने वाला उनका ही कोई रिश्तेदार निकल रहा है. या करीब का कोई व्यक्ति. अभी तक 100 के करीब स्कूल कवर हो चुके हैं. टारगेट है अगले साल अप्रैल तक 300 स्कूल कवर करने का.


Tuesday 18 December 2018

ब्रेस्टफीड कराती औरत की तस्वीर लोगों को अश्लील लगी, जज बोले- फूहड़ता आंखों में होगी || Safalta Aapki

ब्रेस्टफीड कराती औरत की तस्वीर लोगों को अश्लील लगी, जज बोले- फूहड़ता आंखों में होगी

मां अपने बच्चे को दूध पिला रही है, इसमें अश्लील क्या है?

कहते हैं खूबसूरती देखने वाले की आंखों में होती है. केरल हाई कोर्ट ने भी यही कहा और साथ में ये भी जोड़ा कि इसीलिए फूहड़ता भी देखने वाले की आंखों में ही होती होगी. दरअसल कोर्ट में एक मैगजीन के कवर फोटो को लेकर सुनवाई हो रही थी. जिसे अश्लील और नैतिक मूल्यों को ठेस पहुंचाने वाला बताते हुए याचिका दायर हुई थी.

गृहलक्ष्मी नाम की एक मलयालम मैगजीन है. इस साल उसके मार्च के एडिशन में जो कवर फोटो छपी, उस पर विवाद हो गया. इसमें एक मां को दूध पिलाते हुए दिखाया गया था. कैप्शन था 'घूरो मत, हमें स्तनपान कराना जरूरी है.' ये ओपन ब्रेस्टफीडिंग के लिए एक कैंपेन का हिस्सा था.

इस कवर फोटो से कुछ लोगों की भावनाएं आहत हो गईं. ये तस्वीर कई लोगों को अश्लील और फूहड़ लगी. कुछ लोगों के सामाजिक और नैतिक मूल्यों का पतन होने लगा. फिर इसे लेकर कोर्ट में केस कर दिया गया. दावा किया गया कि इस कवर फोटो से जुवैनाइल जस्टिस एक्ट, प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेस एक्ट, इन्डीसन्ट रेप्रीज़ेन्टेशन ऑफ विमन (प्रोहिबिशन) एक्ट, 1986 और संविधान की कुछ धाराओं का उल्लंघन हुआ है.


इस केस की सुनवाई चीफ जस्टिस एंटनी दोमिनिक और जज दमा शेषाद्रि नायडू ने की. जजों ने भी इस कवर फोटो को देखा. काफी कोशिश की, लेकिन उन्हें इसमें अश्लीलता नज़र ही नहीं आई. तस्वीर के कैप्शन पर भी जजों को कुछ भी गलत नहीं लगा, जिससे किसी आदमी का अपमान होता हो.

जज ने कहा कि उन्होंने इस कवर फोटो को उन्हीं आंखों से देखा, जिन आंखों से वो राजा रवि वर्मा जैसे कलाकारों की पेंटिंग्स देखते हैं. सुनवाई के दौरान अजंता की पेंटिग्स पर भी चर्चा हुई. कोर्ट ने कहा कि भारतीय कला ने सदियों से मानव शरीर की खूबसूरती का जश्न मनाया है.

गृहलक्ष्मी के मार्च वाले अंक में स्तनपान कराती मां की तस्वीर में एक नवजात है, मां का पोज़ गिलु जोसेफ नाम की मॉडल ने दिया था. इस तस्वीर पर हंगामा करने वालों के मुताबिक यहां नवजात को व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया गया. नवजात के स्वास्थ्य और अधिकारों का हनन हुआ. मातृत्व और स्तनपान को व्यावसायिक बनाने से किसी नवजात का जीवन खतरे में पड़ सकता है.

जजों ने कहा कि शिकायत करने वाले लोगों का पक्ष ये साबित नहीं कर पाया कि ये तस्वीर अश्लील है या इससे समाज के नैतिकता पर कोई असर पड़ता है. इस मामले में मैगजीन के प्रकाशक, मॉडल गिलु जोसेफ और नवजात के मां-बाप के खिलाफ याचिका डाली गई थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

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Monday 17 December 2018

कहां है भगवान


एक आदमी हमेशा की तरह अपने नाई की दूकान पर बाल कटवाने गया . बाल कटाते वक़्त अक्सर देश-दुनिया की बातें हुआ करती थीं ….आज भी वे सिनेमा , राजनीति , और खेल जगत , इत्यादि के बारे में बात कर रहे थे कि अचानक भगवान् के अस्तित्व को लेकर बात होने लगी .
            नाई ने कहा , “ देखिये भैया , आपकी तरह मैं भगवान् के अस्तित्व में यकीन नहीं रखता .”

            “ तुम ऐसा क्यों कहते हो ?”, आदमी ने पूछा .

            “अरे , ये समझना बहुत आसान है , बस गली में जाइए और आप समझ जायेंगे कि भगवान् नहीं है . आप ही बताइए कि अगर भगवान् होते तो क्या इतने लोग बीमार होते ?इतने बच्चे अनाथ होते ? अगर भगवान् होते तो किसी को कोई दर्द कोई तकलीफ नहीं होती ”, नाई ने बोलना जारी रखा , “ मैं ऐसे भगवान के बारे में नहीं सोच सकता जो इन सब चीजों को होने दे . आप ही बताइए कहाँ है भगवान ?”

            आदमी एक क्षण के लिए रुका , कुछ सोचा , पर बहस बढे ना इसलिए चुप ही रहा .

            नाई ने अपना काम ख़तम किया और आदमी कुछ सोचते हुए दुकान से बाहर निकला और कुछ दूर जाकर खड़ा हो गया. . कुछ देर इंतज़ार करने के बाद उसे एक लम्बी दाढ़ी – मूछ वाला अधेड़ व्यक्ति उस तरफ आता दिखाई पड़ा , उसे देखकर लगता था मानो वो कितने दिनों से नहाया-धोया ना हो .

            आदमी तुरंत नाई कि दुकान में वापस घुस गया और बोला , “ जानते हो इस दुनिया में नाई नहीं होते !”

            “भला कैसे नहीं होते हैं ?” , नाई ने सवाल किया , “ मैं साक्षात तुम्हारे सामने हूँ!! ”

            “नहीं ” आदमी ने कहा , “ वो नहीं होते हैं वरना किसी की भी लम्बी दाढ़ी – मूछ नहीं होती पर वो देखो सामने उस आदमी की कितनी लम्बी दाढ़ी-मूछ है !!”

            “ अरे नहीं भाईसाहब नाई होते हैं लेकिन बहुत से लोग हमारे पास नहीं आते .” नाई बोला


            “बिलकुल सही ” आदमी ने नाई को रोकते हुए कहा ,” यही तो बात है , भगवान भी होते हैं पर लोग उनके पास नहीं जाते और ना ही उन्हें खोजने का प्रयास करते हैं, इसीलिए दुनिया में इतना दुःख-दर्द है.””
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यौन संबंध के चरम पर औरतों के शरीर में आते हैं ये 10 बदलाव || Safalta Aapki


यौन संबंध के चरम पर औरतों के शरीर में आते हैं ये 10 बदलाव

ऑर्गैज़म के बारे सच से ज्याद झूठ फैले हैं. जानिये अपने शरीर का सच.

ऑर्गैज़म. यानी जब यौन रूप से आप अपने चरम पर हों. ये शब्द सुनते ही हर इंसान के कान खड़े हो जाते हैं. आख़िर सेक्स से जुड़ी जिज्ञासा सबके अंदर कूट-कूटकर भरी हुई है. पर दिक्कत ये है कि सेक्स का ज़िक्र आते हम ऐसे भागते हैं जैसे पानी से कुत्ता. उसके बारे में हम खुलकर बात नहीं करना चाहते. जैसे इस आर्टिकल को पढ़ने वाले लोग भी जरा असहज हो रहे होंगे. और कुछ तो सोच रहे होंगे कि 'उस टाइप' की साइट पर आ गए.

पर हम कोई 'उस टाइप' की बात नहीं कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं बायोलॉजी की, महिलाओं के शरीर में होने वाली कुछ नेचुरल चीजों की. क्योंकि बात न कर हमने ऐसा माहौल बना लिया है कि महिलाओं के ऑर्गैज़म के बारे में सच से ज्यादा लोग झूठ जानते हैं.

जब भी महिलाएं अपने चरमोत्कर्ष पर होती हैं, यानी ऑर्गैज़म होता है, तो उनके शरीर में ये सभी बदलाव आते हैं:

1 . सेक्सुअल उतेजना के दौरान औरतों की धड़कन बढ़ जाती है. सांसें तेज़ हो जाती हैं. भई ये आपने टिप-टिप बरसा पानी में भी देखा है. जो नहीं देखा वो ये कि औरत के शरीर की कई मांसपेशियां कस जाती हैं. स्तनों का साइज़ कुछ देर के लिए बढ़ भी जाता है. कुछ औरतों का चेहरा, गला, और सीना लाल हो जाता है. इसे 'सेक्स फ्लश' कहते हैं. यानी उत्तेजना से लाल होना. साथ ही क्लिटोरिस भी आकार में थोड़ा बढ़ जाती है.

2. ऑर्गैज़म के दौरान वजाइना से नेचुरल लुब्रिकेंट भी निकलता है. यानी प्राकृतिक चिकनाहट. इससे सेक्स करने में आसानी होती है.

3. वजाइना के अंदर की परत अपने आप लंबाई और चौड़ाई में बढ़ जाती है. और बाहरी हिस्सा अधिक खुलने लगता है. ये इसलिए होता है क्योंकि हमारा दिमाग खून का सारा बहाव हमारे प्राइवेट पार्ट्स की तरफ कर रहा होता है. खून का यही बहाव सेक्स के दौरान सेंसेशन महसूस करने में मदद करता है.

4. उत्तेजना से जो क्लिटरिस बड़ी होती है, ऑर्गैज़म से ठीक पहले सिकुड़ने लगती है. और उसके आस-पास की मांसपेशियां फूल उठती हैं.

5. ऑर्गैज़म के समय ब्लड प्रेशर, दिल की धड़कनें और सांस लेने की गति भी बढ़ती रहती है.

6. ऑर्गैज़म केवल प्राइवेट पार्ट के बाहरी हिस्सों तक ही सीमित नहीं रहता. वजाइना की अंदरूनी और गर्भाशय की मांसपेशियों में हर कुछ सेकंड पर सरसाराहट होती है. एक धुकधुकी जैसा. इसका एक ख़ास मकसद है. ये इसलिए होता है ताकि पुरुष का सीमेन शरीर में और अंदर खिंच सके. इन शॉर्ट, ऑर्गैज़म आपकी प्रेग्नेंसी के चांसेज बढ़ाता है.

7. ऑर्गैज़म को एक ग्राफ की तरह समझिए. इसमें हाई और लो होते हैं. ये छोटे ब्रेक लेकर में होता है. अगर ऑर्गैज़म हल्का है तो ये हलके झटके से महसूस होने वाले सेंसेशन तीन से पांच बार होंगे. और अगर ऑर्गैज़म तेज़ है तो 10 से 15 बार भी हो सकते हैं.'

8. एक बार ऑर्गैज़म हो जाए तो गर्भाशय, क्लिटरिस और उसके आसपास का हिस्सा वापस अपने साइज़ पर लौट जाते हैं. कसी हुई मांसपेशियां रिलैक्स महसूस करती हैं.

9. ये तो रही शरीर की बात. ऑर्गैज़म का असर दिमाग पर भी पड़ता है. ऑर्गैज़म के दौरान ब्रेन ऑक्सीटोसिन नाम का हॉर्मोन भी बनाता है. जिसकी वजह से आप अपने पार्टनर के और क़रीब महसूस करती हैं. और शारीरिक के अलावा मानसिक रूप से भी पूरा होने की फीलिंग आती है.

10. ऑर्गैज़म के साथ ही डोपामाइन नाम का हॉर्मोन भी बनता है. ये पेनकिलर का काम करता है. और शरीर में यहां-वहां हो रहे हलके दर्द को कम करता है.

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Sunday 16 December 2018

अंगूठी की कीमत, सफलता आपकी

एक नौजवान शिष्य अपने गुरु के पास पहुंचा और बोला , ” गुरु जी एक बात समझ नहीं आती , आप इतने साधारण वस्त्र क्यों पहनते हैं …इन्हे देख कर लगता ही नहीं कि आप एक ज्ञानी व्यक्ति हैं जो सैकड़ों शिष्यों को शिक्षित करने का महान कार्य करता है .
            गुरु जी मुस्कुराये . फिर उन्होंने अपनी ऊँगली से एक अंगूठी निकाली और शिष्य को देते हुए बोले , ” मैं तुम्हारी जिज्ञासा अवश्य शांत करूँगा लेकिन पहले तुम मेरा एक छोटा सा काम कर दो … इस अंगूठी को लेकर बाज़ार जाओ और किसी सब्जी वाले या ऐसे ही किसी दुकानदार को इसे बेच दो … बस इतना ध्यान रहे कि इसके बदले कम से कम सोने की एक अशर्फी ज़रूर लाना .”

            शिष्य फ़ौरन उस अंगूठी को लेकर बाज़ार गया पर थोड़ी देर में अंगूठी वापस लेकर लौट आया .


            “क्या हुआ , तुम इसे लेकर क्यों लौट आये ?”, गुरु जी ने पुछा .


            ” गुरु जी , दरअसल , मैंने इसे सब्जी वाले , किराना वाले , और अन्य दुकानदारों को बेचने का प्रयास किया पर कोई भी इसके बदले सोने की एक अशर्फी देने को तैयार नहीं हुआ …”


            गुरु जी बोले , ” अच्छा कोई बात नहीं अब तुम इसे लेकर किसी जौहरी के पास जाओ और इसे बेचने की कोशिश करो …”


            शिष्य एक बार फिर अंगूठी लेकर निकल पड़ा , पर इस बार भी कुछ ही देर में वापस आ गया .


            “क्या हुआ , इस बार भी कोई इसके बदले 1 अशर्फी भी देने को तैयार नहीं हुआ ?”, गुरूजी ने पुछा .


            शिष्य के हाव -भाव कुछ अजीब लग रहे थे , वो घबराते हुए बोला , ” अरररे … नहीं गुरु जी , इस बार मैं जिस किसी जौहरी के पास गया सभी ने ये कहते हुए मुझे लौटा दिया की यहाँ के सारे जौहरी मिलकर भी इस अनमोल हीरे को नहीं खरीद सकते इसके लिए तो लाखों अशर्फियाँ भी कम हैं …”


            “यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है ” , गुरु जी बोले , ” जिस प्रकार ऊपर से देखने पर इस अनमोल अंगूठी की कीमत का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता उसी प्रकार किसी व्यक्ति के वस्त्रों को देखकर उसे आँका नहीं जा सकता .व्यक्ति की विशेषता जानने के लिए उसे भीतर से देखना चाहिए , बाह्य आवरण तो कोई भी धारण कर सकता है लेकिन आत्मा की शुद्धता और ज्ञान का भण्डार तो अंदर ही छिपा होता है। “


            शिष्य की जिज्ञासा शांत हो चुकी थी . वह समझ चुका था कि बाहरी वेश-भूषा से व्यक्ति की सही पहचान नहीं हो सकती , जो बात मायने रखती है वो ये कि व्यक्ति भीतर से कैसा है !


            Friends, आज के युग में आप क्या पहनते हैं …कैसे दिखते हैं इसकी अपनी importance है , और कई जगहों पे , for ex: किसी interview या meeting वगैरा में तो इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है . पर ये भी सच है कि सिर्फ outer appearance से इंसान को judge नहीं किया जा सकता . इसलिए हमें कभी भी किसी को सिर्फ इसलिए छोटा नहीं समझना चाहिए क्योंकि उसने अच्छे कपड़े नहीं पहने या किसी को सिर्फ इसलिए बहुत बड़ा नहीं समझना चाहिए क्योंकि वो बहुत अच्छे से dressed up है . इंसान का असली गुण तो उसके भीतर होता है और वही उसे अच्छा या बुरा बनाता है .
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 दोस्तो आपको हमारी यह कहानी कैसी लगी कमेंट बॉक्स में लिखकर जरुर बताएं
 सफलता आपकी


10 दिन की मोहलत, Safalta Aapki

एक राजा था ।उसने 10 खूंखार जंगली कुत्ते पाल रखे थे ।जिनका इस्तेमाल वह लोगों को उनके द्वारा की गयी गलतियों पर मौत की सजा देने के लिए करता था ।

            एक बार कुछ ऐसा हुआ कि राजा के एक पुराने मंत्री से कोई गलती हो गयी। अतः क्रोधित होकर राजा ने उसे शिकारी कुत्तों के सम्मुख फिकवाने का आदेश दे डाला।

            सजा दिए जाने से पूर्व राजा ने मंत्री से उसकी आखिरी इच्छा पूछी।

            “राजन ! मैंने आज्ञाकारी सेवक के रूप में आपकी 10 सालों से सेवा की है…मैं सजा पाने से पहले आपसे 10 दिनों की मोहलत चाहता हूँ ।” मंत्री ने राजा से निवेदन किया ।

            राजा ने उसकी बात मान ली ।

            दस दिन बाद राजा के सैनिक मंत्री को पकड़ कर लाते हैं और राजा का इशारा पाते ही उसे खूंखार कुत्तों के सामने फेंक देते हैं। परंतु यह क्या कुत्ते मंत्री पर टूट पड़ने की बाजए अपनी पूँछ हिला-हिला कर मंत्री के ऊपर कूदने लगते हैं और प्यार से उसके पैर चाटने लगते हैं।


            राजा आश्चर्य से यह सब देख रहा था उसने मन ही मन सोचा कि आखिर इन खूंखार कुत्तों को क्या हो गया है ? वे इस तरह क्यों व्यवहार कर रहे हैं ?


            आखिरकार राजा से रहा नहीं गया उसने मंत्री से पुछा ,” ये क्या हो रहा है , ये कुत्ते तुम्हे काटने की बजाये तुम्हारे साथ खेल क्यों रहे हैं?”


            ” राजन ! मैंने आपसे जो १० दिनों की मोहलत ली थी , उसका एक-एक क्षण मैं इन बेजुबानो की सेवा करने में लगा दिया। मैं रोज इन कुत्तों को नहलाता ,खाना खिलाता व हर तरह से उनका ध्यान रखता। ये कुत्ते खूंखार और जंगली होकर भी मेरे दस दिन की सेवा नहीं भुला पा रहे हैं परंतु खेद है कि आप प्रजा के पालक हो कर भी मेरी 10 वर्षों की स्वामीभक्ति भूल गए और मेरी एक छोटी सी त्रुटि पर इतनी बड़ी सजा सुन दी.! ”
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            राजा को अपनी भूल का एहसास हो चुका था , उसने तत्काल मंत्री को आज़ाद करने का हुक्म दिया और आगे से ऐसी गलती ना करने की सौगंध ली।


            मित्रों , कई बार इस राजा की तरह हम भी किसी की बरसों की अच्छाई को उसके एक पल की बुराई के आगे भुला देते हैं। यह कहानी हमें क्षमाशील होना सीखाती है, ये हमें सबक देती है कि हम किसी की हज़ार अच्छाइयों को उसकी एक बुराई के सामने छोटा ना होने दें।

Saturday 13 October 2018

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अपनी वाणी का अफसोस मुझे अनेक बार हुआ,
परन्तु अपने मौन का कभी नहीं !!

Sunday 9 September 2018

हर समस्या का समाधान है – Every Lock has a key. Safalta Aapki

























हर समस्या का समाधान है – Every Lock has a key

एक समय की बात है एक व्यक्ति के पास एक गधा ( Donkey )था| एक दिन वह गधा Donkey गड्ढे में गिर गया जब बहुत कोशिश करने के बाद भी वह गधा गढ्ढे से बाहर नहीं निकल पाया ,तो उस व्यक्ति ने Decide किया की, इस गधे को यही दफना दिया जाए | और ऐसा सोचकर उस व्यक्ति ने उस गधे के ऊपर मिटटी डालनी शुरू कर दी कुछ देर तो गधा शांत बैठा रहा पर जैसे ही उसके ऊपर ज़्यदा बोझ  होने लगा तो उसने  मिटटी अपने  ऊपर से झाड़ दी , मिटटी के नीचे  आने पर गधा मिटटी के ऊपर चढ़ गया | ऐसा कुछ समय करते करते गधा गढ्डे के  ऊपर आ गया और फिर गढ्डे से बहार निकल गया |
दोस्तों हमारे पास भी उस गधे की तरह २ choice होती है
1 – या तो हम  problem  रूपी मिटटी के नीचे दब जाए mean कोई भी problem आने पर उसी के बारे में सोचते रहे और परेशां होते रहे|
2 – या उस Problem रूपी मिटटी को सीडी बनाकर ऊपर की तरफ बढे

दोस्तों ज़िंदगी में कुछ न कुछ तो होता ही रहता है हमें चाहिए की हर प्रॉब्लम से सीखे और ज़िंदगी को खुशनुमा बनाए| problem तो हर किसी के जीवन में आती हैं पर हमारी सफलता और असफलता इसी बात पर depend करती है की उस प्रॉब्लम को हम deal कैसे करते हैं |क्या Abraham Lincoln , Mahatma Gandhi, Abdul Klam , Narendra Modi अदि इनकी life में Problem  नहीं आई ,महान लोगो की Success इसी बात पर निर्भर करती है की वो Problem  का solution कैसे ढूंढते हैं | Success Secrete  ही यही है की हर Problem  का Solution ढूंढे . न की Problem में ही उलझ कर रह जाये .

स्टार्टअप क्या है कम पूंजी से शुरू होने वाले बिज़नेस || What is a startup, a business starting with low capital

स्टार्टअप क्या है स्टार्टअप का मतलब एक नई कंपनी से होता है।आमतौर पर उसको शुरू करने वाला व्यक्ति उसमें निवेश करने के साथ साथ कंपनी का संचालन ...