इन 104 बच्चियों को पता ही नहीं था कि उनका यौन शोषण हुआ है, वीडियो दिखाने पर भेद खुला
एक सीक्रेट मिशन के तहत ये जानकारी सामने आई.
आए दिन हम ऐसे कई केस देखते और सुनते हैं, जहां छोटी-छोटी बच्चियों को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. जहां बच्चियों को ये पता भी नहीं होता कि उनके साथ जो हो रहा है वो सेक्शुअल हैरेसमेंट है. वो चुपचाप सहन करते जाती हैं. बिना कुछ कहे, एकदम चुप.
लेकिन अब इन बच्चियों ने बोलना शुरू कर दिया है. धीरे-धीरे ही सही, लेकिन बच्चियां सामने आने लगी हैं. अपने साथ हुए सेक्शुअल हैरेसमेंट की घटनाएं बताने लगी हैं. ये सब कुछ हो रहा है ईस्ट एमसीडी के स्कूलों में. ईस्ट एमसीडी यानी पूर्वी दिल्ली नगर निगम. इन स्कूलों में पढ़ने वाली करीब 104 बच्चियों ने बताया कि उनका यौन उत्पीड़न हुआ है.
ईस्ट एमसीडी ने एक मिशन शुरू किया है. मिशन 'पिंक हेल्थ'. इस मिशन का फोकस बच्चियों की हेल्थ पर है. एनिमिया वगैरह की जांच करना, सेनेटरी पैड्स देना और 'गुड टच-बैड टच' के बारे में बताना. अब बच्चियों को ये बताने के लिए कि उन्हें जो व्यक्ति छू रहा है, उसका टच गुड है या बैड, इसके लिए बच्चियों को फिल्म दिखाई जाती है. दो शॉर्ट फिल्म. कोमल और रिया.
जुलाई में शुरू हुआ मिशन
ईस्ट एमसीडी के स्कूलों में जुलाई से इस मिशन की शुरुआत हुई. पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अंदर टोटल 391 स्कूल हैं. टारगेट है अप्रैल तक सभी स्कूल कवर करने का. अभी तक करीब 100 स्कूल कवर किए जा चुके हैं.
इस मिशन को कामयाब बनाने के लिए ईवीजीसी रखे गए हैं. ईवीजीसी यानी एजुकेशनल वोकेशनल गाइडेंस काउंसलर. जिन्होंने साइकोलॉजी में एमए किया है, उन्हें ईवीजीसी बनाया गया है. टोटल 105 ईवीजीसी रखे गए हैं. जुवेनाइल जस्टिस कमेटी फॉर ड्रग एंड सब्सटांस एब्यूज के नोडल ऑफिसर हैं डॉक्टर अजल लेखी. इन्हीं के गाइडेंस में 105 ईवीजीसी काम कर रहे हैं.
कैसे हो रहा है काम?
ईवीजीसी ईस्ट एमसीडी के स्कूलों में जाते हैं. बच्चियों से बात करते हैं. उन्हें 'रिया और कोमल' फिल्म दिखाते हैं. फिल्म के जरिए बच्चियों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताने की कोशिश करते हैं. फिल्म देखने के बाद ईवीजीसी बच्चियों से पूछते हैं कि क्या कभी उनके साथ इस तरह की कोई हरकत हुई है? बच्चियां जवाब देती हैं. इस मिशन की वजह से जुलाई से लेकर अभी तक, माने केवल 5 महीनों में यौन उत्पीड़न के 104 केस सामने आ चुके हैं. 12 मामलों में आरोपियों कि गिरफ्तारी भी हो चुकी है. बाकी मामलों में कार्रवाई अभी प्रोसेस में है.
कैसे हुई इस अभियान की शुरुआत?
साल 2012 में दिल्ली में निर्भया केस हुआ था. उसी के बाद इस मुहिम की शुरुआत हुई. ऑडनारी की टीम ने डॉक्टर अजल लेखी से बात की. उन्होंने बताया, 'दिल्ली हाई कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी ये जानना चाहती थी कि पूरे देश को हिलाने वाले अपराधों में नाबालिग बच्चे कैसे शामिल हो जाते हैं. बच्चे कैसे छोटी उम्र में चोरी, रेप जैसे मामलों में शामिल हो जाते हैं. इसके लिए एक स्टडी कराई गई. जिसमें ये बात सामने आई कि ऐसे संगीन अपराधों के जो अपराधी होते हैं, वो बहुत ही कम उम्र से ड्रग्स लेने लग जाते हैं. उन्हें नशे की लत रहती है.'
उसके बाद क्या?
फिर दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया. ईवीजीसी रखने का आदेश. जुलाई में 105 ईवीजीसी का अपॉइंटमेंट हुआ. हर ईवीजीसी, यानी काउंसलर को ईस्ट एमसीडी के 7-8 स्कूलों की जिम्मेदारी दी गई. डॉक्टर लेखी ने आगे बताया, 'हर काउंसलर ईस्ट एमसीडी के स्कूलों में जाते हैं. नशे की लत से बच्चों को बचाने और यौन शोषण से बचाने के लिए काम करते हैं. फिल्म दिखाते हैं. बहुत सारी ट्रिक्स अपनाई जाती है, ताकि वो बच्चे सामने आ सकें, जिन्हें नशे की लत हैं. यौन शोषण पर फिल्में दिखाते हैं. महिला काउंसलर्स बच्चियों से बात करती हैं. बहुत ही ज्यादा शॉकिंग खुलासे हो रहे हैं. काउंसलर्स बच्चियों को बताते हैं कि उन्हें यौन शोषण पर चुप नहीं रहना चाहिए. खुलकर बात करनी चाहिए. पैरेंट्स को बताना चाहिए. वो न सुनें तो हेल्पलाइन नंबर 1098 पर कॉल घुमाना चाहिए.'
डॉक्टर लेखी ने बताया कि बहुत से केस में बच्चियों का यौन शोषण करने वाला उनका ही कोई रिश्तेदार निकल रहा है. या करीब का कोई व्यक्ति. अभी तक 100 के करीब स्कूल कवर हो चुके हैं. टारगेट है अगले साल अप्रैल तक 300 स्कूल कवर करने का.
एक सीक्रेट मिशन के तहत ये जानकारी सामने आई.
आए दिन हम ऐसे कई केस देखते और सुनते हैं, जहां छोटी-छोटी बच्चियों को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. जहां बच्चियों को ये पता भी नहीं होता कि उनके साथ जो हो रहा है वो सेक्शुअल हैरेसमेंट है. वो चुपचाप सहन करते जाती हैं. बिना कुछ कहे, एकदम चुप.
लेकिन अब इन बच्चियों ने बोलना शुरू कर दिया है. धीरे-धीरे ही सही, लेकिन बच्चियां सामने आने लगी हैं. अपने साथ हुए सेक्शुअल हैरेसमेंट की घटनाएं बताने लगी हैं. ये सब कुछ हो रहा है ईस्ट एमसीडी के स्कूलों में. ईस्ट एमसीडी यानी पूर्वी दिल्ली नगर निगम. इन स्कूलों में पढ़ने वाली करीब 104 बच्चियों ने बताया कि उनका यौन उत्पीड़न हुआ है.
ईस्ट एमसीडी ने एक मिशन शुरू किया है. मिशन 'पिंक हेल्थ'. इस मिशन का फोकस बच्चियों की हेल्थ पर है. एनिमिया वगैरह की जांच करना, सेनेटरी पैड्स देना और 'गुड टच-बैड टच' के बारे में बताना. अब बच्चियों को ये बताने के लिए कि उन्हें जो व्यक्ति छू रहा है, उसका टच गुड है या बैड, इसके लिए बच्चियों को फिल्म दिखाई जाती है. दो शॉर्ट फिल्म. कोमल और रिया.
जुलाई में शुरू हुआ मिशन
ईस्ट एमसीडी के स्कूलों में जुलाई से इस मिशन की शुरुआत हुई. पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अंदर टोटल 391 स्कूल हैं. टारगेट है अप्रैल तक सभी स्कूल कवर करने का. अभी तक करीब 100 स्कूल कवर किए जा चुके हैं.
इस मिशन को कामयाब बनाने के लिए ईवीजीसी रखे गए हैं. ईवीजीसी यानी एजुकेशनल वोकेशनल गाइडेंस काउंसलर. जिन्होंने साइकोलॉजी में एमए किया है, उन्हें ईवीजीसी बनाया गया है. टोटल 105 ईवीजीसी रखे गए हैं. जुवेनाइल जस्टिस कमेटी फॉर ड्रग एंड सब्सटांस एब्यूज के नोडल ऑफिसर हैं डॉक्टर अजल लेखी. इन्हीं के गाइडेंस में 105 ईवीजीसी काम कर रहे हैं.
कैसे हो रहा है काम?
ईवीजीसी ईस्ट एमसीडी के स्कूलों में जाते हैं. बच्चियों से बात करते हैं. उन्हें 'रिया और कोमल' फिल्म दिखाते हैं. फिल्म के जरिए बच्चियों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताने की कोशिश करते हैं. फिल्म देखने के बाद ईवीजीसी बच्चियों से पूछते हैं कि क्या कभी उनके साथ इस तरह की कोई हरकत हुई है? बच्चियां जवाब देती हैं. इस मिशन की वजह से जुलाई से लेकर अभी तक, माने केवल 5 महीनों में यौन उत्पीड़न के 104 केस सामने आ चुके हैं. 12 मामलों में आरोपियों कि गिरफ्तारी भी हो चुकी है. बाकी मामलों में कार्रवाई अभी प्रोसेस में है.
कैसे हुई इस अभियान की शुरुआत?
साल 2012 में दिल्ली में निर्भया केस हुआ था. उसी के बाद इस मुहिम की शुरुआत हुई. ऑडनारी की टीम ने डॉक्टर अजल लेखी से बात की. उन्होंने बताया, 'दिल्ली हाई कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी ये जानना चाहती थी कि पूरे देश को हिलाने वाले अपराधों में नाबालिग बच्चे कैसे शामिल हो जाते हैं. बच्चे कैसे छोटी उम्र में चोरी, रेप जैसे मामलों में शामिल हो जाते हैं. इसके लिए एक स्टडी कराई गई. जिसमें ये बात सामने आई कि ऐसे संगीन अपराधों के जो अपराधी होते हैं, वो बहुत ही कम उम्र से ड्रग्स लेने लग जाते हैं. उन्हें नशे की लत रहती है.'
उसके बाद क्या?
फिर दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया. ईवीजीसी रखने का आदेश. जुलाई में 105 ईवीजीसी का अपॉइंटमेंट हुआ. हर ईवीजीसी, यानी काउंसलर को ईस्ट एमसीडी के 7-8 स्कूलों की जिम्मेदारी दी गई. डॉक्टर लेखी ने आगे बताया, 'हर काउंसलर ईस्ट एमसीडी के स्कूलों में जाते हैं. नशे की लत से बच्चों को बचाने और यौन शोषण से बचाने के लिए काम करते हैं. फिल्म दिखाते हैं. बहुत सारी ट्रिक्स अपनाई जाती है, ताकि वो बच्चे सामने आ सकें, जिन्हें नशे की लत हैं. यौन शोषण पर फिल्में दिखाते हैं. महिला काउंसलर्स बच्चियों से बात करती हैं. बहुत ही ज्यादा शॉकिंग खुलासे हो रहे हैं. काउंसलर्स बच्चियों को बताते हैं कि उन्हें यौन शोषण पर चुप नहीं रहना चाहिए. खुलकर बात करनी चाहिए. पैरेंट्स को बताना चाहिए. वो न सुनें तो हेल्पलाइन नंबर 1098 पर कॉल घुमाना चाहिए.'
डॉक्टर लेखी ने बताया कि बहुत से केस में बच्चियों का यौन शोषण करने वाला उनका ही कोई रिश्तेदार निकल रहा है. या करीब का कोई व्यक्ति. अभी तक 100 के करीब स्कूल कवर हो चुके हैं. टारगेट है अगले साल अप्रैल तक 300 स्कूल कवर करने का.
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