यौन संबंध के चरम पर औरतों के शरीर में आते हैं ये 10 बदलाव
ऑर्गैज़म के बारे सच से ज्याद झूठ फैले हैं. जानिये अपने शरीर का सच.
ऑर्गैज़म. यानी जब यौन रूप से आप अपने चरम पर हों. ये शब्द सुनते ही हर इंसान के कान खड़े हो जाते हैं. आख़िर सेक्स से जुड़ी जिज्ञासा सबके अंदर कूट-कूटकर भरी हुई है. पर दिक्कत ये है कि सेक्स का ज़िक्र आते हम ऐसे भागते हैं जैसे पानी से कुत्ता. उसके बारे में हम खुलकर बात नहीं करना चाहते. जैसे इस आर्टिकल को पढ़ने वाले लोग भी जरा असहज हो रहे होंगे. और कुछ तो सोच रहे होंगे कि 'उस टाइप' की साइट पर आ गए.
पर हम कोई 'उस टाइप' की बात नहीं कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं बायोलॉजी की, महिलाओं के शरीर में होने वाली कुछ नेचुरल चीजों की. क्योंकि बात न कर हमने ऐसा माहौल बना लिया है कि महिलाओं के ऑर्गैज़म के बारे में सच से ज्यादा लोग झूठ जानते हैं.
जब भी महिलाएं अपने चरमोत्कर्ष पर होती हैं, यानी ऑर्गैज़म होता है, तो उनके शरीर में ये सभी बदलाव आते हैं:
1 . सेक्सुअल उतेजना के दौरान औरतों की धड़कन बढ़ जाती है. सांसें तेज़ हो जाती हैं. भई ये आपने टिप-टिप बरसा पानी में भी देखा है. जो नहीं देखा वो ये कि औरत के शरीर की कई मांसपेशियां कस जाती हैं. स्तनों का साइज़ कुछ देर के लिए बढ़ भी जाता है. कुछ औरतों का चेहरा, गला, और सीना लाल हो जाता है. इसे 'सेक्स फ्लश' कहते हैं. यानी उत्तेजना से लाल होना. साथ ही क्लिटोरिस भी आकार में थोड़ा बढ़ जाती है.
2. ऑर्गैज़म के दौरान वजाइना से नेचुरल लुब्रिकेंट भी निकलता है. यानी प्राकृतिक चिकनाहट. इससे सेक्स करने में आसानी होती है.
3. वजाइना के अंदर की परत अपने आप लंबाई और चौड़ाई में बढ़ जाती है. और बाहरी हिस्सा अधिक खुलने लगता है. ये इसलिए होता है क्योंकि हमारा दिमाग खून का सारा बहाव हमारे प्राइवेट पार्ट्स की तरफ कर रहा होता है. खून का यही बहाव सेक्स के दौरान सेंसेशन महसूस करने में मदद करता है.
4. उत्तेजना से जो क्लिटरिस बड़ी होती है, ऑर्गैज़म से ठीक पहले सिकुड़ने लगती है. और उसके आस-पास की मांसपेशियां फूल उठती हैं.
5. ऑर्गैज़म के समय ब्लड प्रेशर, दिल की धड़कनें और सांस लेने की गति भी बढ़ती रहती है.
6. ऑर्गैज़म केवल प्राइवेट पार्ट के बाहरी हिस्सों तक ही सीमित नहीं रहता. वजाइना की अंदरूनी और गर्भाशय की मांसपेशियों में हर कुछ सेकंड पर सरसाराहट होती है. एक धुकधुकी जैसा. इसका एक ख़ास मकसद है. ये इसलिए होता है ताकि पुरुष का सीमेन शरीर में और अंदर खिंच सके. इन शॉर्ट, ऑर्गैज़म आपकी प्रेग्नेंसी के चांसेज बढ़ाता है.
7. ऑर्गैज़म को एक ग्राफ की तरह समझिए. इसमें हाई और लो होते हैं. ये छोटे ब्रेक लेकर में होता है. अगर ऑर्गैज़म हल्का है तो ये हलके झटके से महसूस होने वाले सेंसेशन तीन से पांच बार होंगे. और अगर ऑर्गैज़म तेज़ है तो 10 से 15 बार भी हो सकते हैं.'
8. एक बार ऑर्गैज़म हो जाए तो गर्भाशय, क्लिटरिस और उसके आसपास का हिस्सा वापस अपने साइज़ पर लौट जाते हैं. कसी हुई मांसपेशियां रिलैक्स महसूस करती हैं.
9. ये तो रही शरीर की बात. ऑर्गैज़म का असर दिमाग पर भी पड़ता है. ऑर्गैज़म के दौरान ब्रेन ऑक्सीटोसिन नाम का हॉर्मोन भी बनाता है. जिसकी वजह से आप अपने पार्टनर के और क़रीब महसूस करती हैं. और शारीरिक के अलावा मानसिक रूप से भी पूरा होने की फीलिंग आती है.
10. ऑर्गैज़म के साथ ही डोपामाइन नाम का हॉर्मोन भी बनता है. ये पेनकिलर का काम करता है. और शरीर में यहां-वहां हो रहे हलके दर्द को कम करता है.
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Safalta Aapki
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