Friday 26 February 2016

हर सफल व्यक्ति के पीछे उसकी असफलताओं की भी कहानी होती है।

हर सफल व्यक्ति के पीछे उसकी असफलताओं की भी कहानी होती है।

जब हम किसी सफल व्यक्ति को देखते हैं तो केवल उसकी सफलता को देखते हैं। इस सफलता को पाने की कोशिश में वह कितनी बार असफल हुआ है, यह कोई जानना नहीं चाहता। जबकि असफलता का सामना करे बिना शायद ही कोई सफल होता है।

  अमेरिका के रोनाल्ड रीगन फिल्मों में अभिनेता थे। पहली बार गवर्नर का चुनाव लड़े तो लोगों ने हंसी उड़ाई, लेकिन वे जीत गए। दो बार गवर्नर रहने के बाद जब उन्होंने राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने का फैसला किया तो पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया। चार साल बाद फिर उन्होंने कोशिश की, फिर भी कामयाबी नहीं मिली।
 चार साल बाद उन्होंने फिर कोशिश की और सफल हुए और भारी बहुमत से अमेरिका के राष्ट्रपति बने। हमारे यहां भी इस तरह के कई उदाहरण हैं जो कई असफलताओं के बाद सफल हुए। भारतीय फिल्मों के महानायक अमिताभ बच्चन ने अपने करियर की शुरुआत में लगातार नौ असफल फिल्में दीं, फिर वे सफल हुए। ऐसे कई उदाहरण हैं। असफलता, सफलता के साथ-साथ चलती है।
 आप इसे किस तरह से लेते हैं, यह आप पर निर्भर करता है, क्योंकि हर असफलता आपको कुछ सिखाती है। असफलता में राह में मिलने वाली सीख को समझकर जो आगे बढ़ता जाता है वह सफलता को पा लेता है। सफलता के लिए जितना जरूरी लक्ष्य और योजना है, उतना ही जरूरी असफलता का सामना करने की ताकत भी।

 जिस दिन आप तय करते हैं कि आपको सफलता पाना है, उसी दिन से अपने आपको असफलता का सामना करने के लिए तैयार कर लेना चाहिए, क्योंकि असफलता वह कसौटी है जिस पर आपको परखा जाता है
 कि आप सफलता के योग्य हैं या नहीं। यदि आप में दृढ़ इच्छाशक्ति है और आप हर असफलता की चुनौती का सामना कर आगे बढ़ने में सक्षम हैं तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। तो हो जाइए तैयार सफलता की राह में आने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए, क्योंकि हर सफल व्यक्ति के पीछे उसकी असफलताओं की भी कहानी होती है।

गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में ।
वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले ।।

 अंग्रेज़ी की एक प्रेरक कहावत है- 'स्ट्रगल एंड शाइन।' यह वाक्य हमें बड़ी शक्ति देता है, जिंदगी में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जीवन में कठिनाईयां तो आती ही हैं और कभी-कभी तो इतने अप्रत्याशित कि संभलने का भी पूरा समय नहीं मिलता। यही तो जीवन की ठोकरें हैं जिन्हें खाकर ही हम संभलना सीख सकते हैं। उनसे बचने की कोशिश तो करना है, पर ठोकर कहते ही उसे हैं जो सावधानी के बाद भी लगती है और आखिर एक नई सीख भी दे जाती है।

 कभी-कभी जीवन में मुश्किलें एक के बाद एक या एक साथ भी कई आ जाती हैं और हम अपने आपको उनके जंगल में राह भटके हुए की तरह भ्रमित होते रहते हैं।

 जब हमें जीवन के कड़वे अनुभव होते हैं या कोई ठोकर लगती है तो उस समय हम हो सकता है कि विचलित हो जाएं, इससे उबरकर सीख भी मिलती है और जीवन में मुश्किलों का सामना करने का साहस भी आता है। फिर हम पाते हैं कि हमारी क्षमता भी बढ़ गई है और जीवन में हम और भी सफलता हासिल कर रहे हैं। तो मुश्किलों से घबराएं, नहीं बल्कि उनका सामना करें। आप पाएंगे कि आपको उन मुश्किलों ने और भी निखार दिया है।

 रसायन शास्त्र का एक नियम है, जो जिंदगी पर भी लागू होता है। जब कोई अणु टूटकर पुन: अपनी पूर्व अवस्था में आता है तो वह पहले से अधिक मज़बूत होता है। इसी तरह हम जब किसी परेशानी का सामना करने के बाद पहले से अधिक मज़बूत हो जाते हैं और जीवन में और भी तरक्की करते हैं।

मंजिल मिल ही जायेगी भटकते ही सही, गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं...

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