Sunday 28 February 2016

Budhia Singh Biography in Hindi : बुधिया सिंह

Budhia Singh Biography in Hindi : बुधिया सिंह

ये “बुधिया” नाम सुनकर कुछ याद आया आपको? नहीं न .. हमारा देश बहुत जल्दी किसी को भी भूलने में माहिर है– क्यूँ की इस देश के लोगों को भूलने की आदत जो है. जिस बालक ने किसी समय साढ़े चार साल की उम्र में (4.5वर्ष) 65 किलो मीटर की दूरी सात घंटे दो मिनट में तय करके नया Records बना कर Media (मीडिया) में छा गया था. आज गुमनामी के अंधेरे में गुम है जो बालक भविष्य में ओलंपिक (Olympics) पदक दिला सकता था, आज वो सरकारी हॉस्टल में कुपोषण का शिकार है.

बुधिया सिंह (Budhia Singh)  के कोच बेरंची दास की भी हत्या कर दी गयी थी, और इस होनहार बालक की गुमनामी के अँधेरे में धकेल दिया गया था.

आईये जानते हैं इस होनहार बालक की पूरी कहानी”

बुधिया सिंह (Budhia Singh) :
Budhia Awooga Singh is an Indian boy and the Wolrd’s youngest marathon runner Budhia Singh was born in the State of Odisha.
बुधिया सिंह (Budhia Singh) भारत के ओडिशा राज्य का एक शिशु मैराथन धावक है, इस नन्हे साढ़े चार साल के बालक बुधिया सिंह ने 65 किलोमीटर की दुरी 7 घंटे 2 मिनट में तय करके पूरी दुनिया में छा गया था.
Early Life : प्रारंभिक जीवन
बुधिया सिंह  (Budhia Singh) भारत के ओडिशा State का एक शिशु है मैराथन धावक है, दोस्तों बुधिया सिंह (Budhia Singh) का नाम एक लम्बी दोड़ के लिए, लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्डस रिकार्ड्स में भी शामिल है.
बुधिया सिंह  (Budhia Singh) का जन्म एक बहुत गरीब परिवार में हुआ. वह एक अत्यनत गरीब परिवार का बेटा है जिसे उसकी माँ सुकांति सिंह ने अपने बेटे को मात्र 800 रुपए में एक आदमी को बेच दिया था.  बाद में एक स्थानीय खेल के कोच Biranchi Das (बिरंची दास) की नजर बुधिया पर पड़ी. बिरंची दास ने बुधिया सिंह  (Budhia Singh) को गोद लिया और उनके देख रेख में उसने मैराथन दोड़ने का Training लिया
बुधिया सिंह (Budhia Singh) ने चार बजे पूरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार से अपनी दोड़ शुरू की और सात घंटे दो मिनट बाद राजधानी भुवनेश्वर पहुंचे.
दोस्तों इतिहास गवाह है की इस उम्र का कोई भी बच्चा ऐसा records नहीं बना पाया है, यह बड़ी उपलब्धि सिर्फ और सिर्फ ओड़िसा के इस नन्हे बालक ने हासिल की, और साथ ही साथ इन्होने Limca Book of World’s Records में भी अपना नाम दर्ज करवाया. बुधिया सिंह  (Budhia Singh) ने जब पूरी से अपनी दोड़ शुरू की थी, तो बड़ी संख्या में लोग वहां मौजूद थे, लोगों ने सिर्फ Budhia Singh का उत्सह नहीं बढाया बल्कि उसके समर्थन में नारे भी लगाये.  यहाँ तक की बुधिया सिंह (Budhia Singh) के समर्थन में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कम से कम 220 जवान भी बुधिया के नैतिक समर्थन में उसके साथ दोड़ लगा रहे थे. इस आयोजन को कवर करने के लिए वहां media (मेडिया) भी मौजूद थी. जिसे CRPF प्रायोजित कर रहा था, भुवनेश्वर पहुँचने के बाद बुधिया सिंह (Budhia Singh) को अस्पताल ले जाया गया जहाँ उसकी परीक्षण किया गया. बुधिया सिंह (Budhia Singh)  दिल्ली हाफ मैराथन सहित कई दोडों में हिस्सा ले चूका है.

Top 10 Important Point About Budhia Singh: रोचक जानकारी बुधिया सिंह की
•बुधिया सिंह (Budhia Singh) की प्रतिभा की खोज कैसे हुयी, ये कहानी कम रोचक नहीं हैं घरो में बर्तन माजने का काम करने वाली उसकी माँ ने गरीबी से तंग आकर इस महान बालक को सिर्फ 800 रुपए में बेच दिया था.
•भुवनेश्वर में ही रहेने वाले एक जुड़ों के कोच बिरंची दास की नजर (Budhia Singh) पर पड़ी, और इन्होने ही इस प्रतिभावन बालक को गोद ले लिया.
•बुधिया सिंह (Budhia Singh) ने साढ़े चार साल की उम्र में 65 किलोमीटर की दूरी सिर्फ सात घंटे दो मिनट में तय की थी.
• (Budhia Singh) बुधिया सिंह के इस कारनामे की वजह से उनका ये records Limca Book Of World’s Records में शामिल किया गया.
•बुधिया सिंह (Budhia Singh) के कोच Biranchi Das का कहेना है की उन्होंने दुसरे बच्चों को तंग करने के लिए बुधिया सिंह (Budhia Singh) को कई बार डांट भी लगायी थी, एक बार नाराज होकर उन्होंने (Budhia Singh) को दोड़ लगाने की सजा दी और कहा की जब तक मना न किया जाए वह दोड़ता रहे, Biranchi Das बताते हैं की में किसी काम में Busy होगया जब पांच घंटे बाद में लोटा तो दंग रह गया, वह दोड़ता ही जारहा था.
•बिरंची दास का दावा था की उन्होंने बुधिया सिंह (Budhia Singh)  की प्रतिभा को सजाया और संवारा. कई बार बिरंची दास पर आरोप भी लगा था की उन्होंने अपने फायेदे के लिए बुधिया सिंह को इस्तिमाल किया, हालांकि बिरंची दास इन आरोपों से हमेशा इनकार करते रहे.
•बिरंची दास ने ही बुधिया को गोद लिया था, उनके ही देख रेख में Budhia Singh ने मैराथन दोड़ने का Training लिया, 13 अप्रैल 2008 शाम को भुवनेश्वर में बिरंची दास की रहेस्यमय तरीके से गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी.
•बिरंची दास की हत्या के हत्यारों की खोज (संदीप आचार्य उर्फ़ राजा, और उसके सहयोगी अखाया बेहरा उर्फ़ चागला) की गिरफ्तारी ने पुरे देश में हल चल मचा दिया था.
•13 दिसम्बर 2010 को भुवनेश्वर फ़ास्ट ट्रैक (Fast Track) अदालत ने हत्यारों को दोषी पाया गया, और अंतिम 17 दिसम्बर 2010 को पारित किया गया था, दोनों दोषी राजा और उसके सहयोगी Chagala को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी.
•जो बालक भविष्य में ओलंपिक पदक दिला सकता था, आज वो सरकारी हॉस्टल में कुपोषण का शिकार है, आज इस होनहार बालक को गुमनामी के अँधेरे में धकेल दिया गया है.
•एक वक्त था की (Budhia Singh) के चर्चा में आते ही विभिन्न संस्थानों ने उसके लिए ढेरों कोष बनाने की घोषणाएं की थी, media में चर्चा ही चर्चा था, लेकिन आज वही होनहार बालक गुमनामी के अँधेरे में गुम होगया है. आज बुधिया सिंह की उम्र 13-14 होगई है

दोस्तों आप सभी से मेरी गुजारिश है प्लीज इसे जियादा से जियादा share करें ताकि इस बालक को गुमनामी के अँधेरे से निकालने में मदद मिले, जरा सोचना की आपका एक छोटी सी कोशिश बहुत बड़ा काम कर सकती है.”

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