Wednesday 24 February 2016

आम्बेडकर बनाम गाँधी

आम्बेडकर बनाम गाँधी
महात्मा गांधी के विपरीत डॉ. आम्बेडकर गांवों की अपेक्षा नगरों में एवं ग्रामीण शिल्पों या कृषि की व्यवस्था की तुलना में पश्चिमी समाज की औद्योगिक विकास में भारत और दलितों का भविष्य देखते थे। वे मार्क्सवादी समाजवाद की तुलना में बौद्ध मानववाद के समर्थक थे जिसके केन्द्र में व्यक्तिगत स्वतंत्रता, समानता एवं भ्रातृत्व की भावना है। आम्बेडकर, महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्र आलोचक थे। उनके समकालीनों और आधुनिक विद्वानों ने उनके महात्मा गांधी (जो कि पहले भारतीय नेता थे जिन्होंने अस्पृश्यता और भेदभाव करने का मुद्दा सबसे पहले उठाया था) के विरोध की आलोचना है।
1932 में ग्राम पंचायत बिल पर बम्बई की विधान सभा में बोलते हुए आम्बेडकर ने कहा: बहुतों ने ग्राम पंचायतों की प्राचीन व्यवस्था की बहुत प्रशंसा की है। कुछ लोगों ने उन्हें ग्रामीण प्रजातन्त्र कहा है। इन देहाती प्रजातन्त्रों का गुण जो भी हो, मुझे यह कहने में जरा भी दुविधा नहीं है कि वे भारत में सार्वजनिक जीवन के लिए अभिशाप हैं। यदि भारत राष्ट्रवाद उत्पन्न करने में सफल नहीं हुआ, यदि भारत राष्ट्रीय भावना के निर्माण में सफल नहीं हुआ, तो इसका मुख्य कारण मेरी समझ में ग्राम व्यवस्था का अस्तित्व है। इससे हमारे लोगों में विशिष्ट स्थानीयता की भावना भर गई उससे बड़ी नागरिक भावना के लिए थोड़ी भी जगह न रही। प्राचीन ग्राम पंचायतों की व्यवस्था के अन्तर्गत एकताबद्ध जनता के देश के बदले भारत ग्राम पंचायतों का ढीला-ढाला समुदाय बन गया। वे सब एक ही राजा की प्रजा थे, इसके सिवा उनके बीच और कोई बन्धन नहीं था।
गांधी का दर्शन भारत के पारंपरिक ग्रामीण जीवन के प्रति अधिक सकारात्मक, लेकिन रूमानी था, और उनका दृष्टिकोण अस्पृश्यों के प्रति भावनात्मक था उन्होंने उन्हें हरिजन कह कर पुकारा। आम्बेडकर ने इस विशेषण को सिरे से अस्वीकार कर दिया। उन्होंने अपने अनुयायियों को गांव छोड़ कर शहर जाकर बसने और शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।
मृत्यु
आम्बेडकर 1948 से मधुमेह से पीड़ित थे। और वो जून से अक्टूबर 1954 तक बहुत बीमार रहे। राजनीतिक मुद्दों से परेशान आम्बेडकर का स्वास्थ्य बद से बदतर होता चला गया और 1955 के दौरान किये गये लगातार काम ने उन्हें तोड़ कर रख दिया। अपनी अंतिम पाण्डुलिपि बुद्ध और उनके धम्म को पूरा करने के तीन दिन के बाद 6 दिसंबर 1956 को आम्बेडकर की मृत्यु नींद में दिल्ली में उनके घर में हो गई। 7 दिसंबर को चौपाटी समुद्र तट पर बौद्ध शैली में अंतिम संस्कार किया गया जिसमें सैकड़ों हज़ारों समर्थकों, कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों भाग लिया। एक स्मारक आम्बेडकर के दिल्ली स्थित उनके घर 26 अलीपुर रोड में स्थापित किया गया है। आम्बेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रखा जाता है। अपने अनुयायियों को उनका संदेश था।
शिक्षित बनो !!!, संगठित रहो!!!, संघर्ष करो !!!।
उपसंहार
आम्बेडकर विधि विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री, इतिहास विवेचक, और धर्म और दर्शन के विद्वान थे। उन्होंने अपने लेखन में अनेक ऐसे सूत्र दिए हैं जिनके आधार पर भारतीय इतिहास को हम पूंजीवादी विवेचकों के दुष्प्रभाव से मुक्त कर सकते हैं। उनकी एक क्रांतिकारी स्थापना यह है कि इंग्लैंड किसी तरह व्यापार में भारत से स्पर्धा न कर सकता था और माल तैयार करने वाले देश के रूप में भारत इंग्लैंड से बढ़ कर था। अंग्रेज़ी शासनतंत्र के विवेचन में आम्बेडकर ने अनेक ऐसे तथ्य दिए हैं जिनसे प्रमाणित होता है, अंग्रेज़ों ने जाति-बिरादरी की प्रथा को और कठोर बनाया, उन्होंने यहाँ का व्यापार नष्ट किया, शहरों के उद्योग-धंधे तबाह किए। लाखों कारीगर शहर छोड़कर देहात में जा बसे, वहां जमींदारों की बेगार करने पर बाध्य हुए।

No comments:

Post a Comment

स्टार्टअप क्या है कम पूंजी से शुरू होने वाले बिज़नेस || What is a startup, a business starting with low capital

स्टार्टअप क्या है स्टार्टअप का मतलब एक नई कंपनी से होता है।आमतौर पर उसको शुरू करने वाला व्यक्ति उसमें निवेश करने के साथ साथ कंपनी का संचालन ...