Sunday 28 February 2016

मांगने की बजाए, जिंदगी में देना सीखें

मांगने  की बजाए, जिंदगी में  देना सीखें

जीवन की सबसे सुखद अनुभूति देने में है।  दुनिया  महात्मा गांधी , मदरटरेसा , ए  पी  जे अब्दुल कलाम जैसे देश को कुछ  देने वालो को याद करती है। ना की लेने वालो को  कुछ देने वाले ही समाज को कुछ देकर जाते हैं , जिस से समाज व दुनिया का कुछ भला होता है।  जब हम किसी को निस्वार्थ कुछ देते हैं  या मद्त करते हैं, तो  लेने वाले का  ह्रदय प्रसन्न होता है और वह उसे अंतिरक करण से उसे दुआ देता है । और जो दुआ उसे मिलती है वो उसे यश्स्वी बना देती है।  देने  का मतलब सिर्फ ये नही है की आप किसी की रूपये पैसे से ही मद्त करें। जिसे फाइनेंसियल स्पॉट की जरूरत है तो  करें  जिसे मॉरल स्पॉट की जरूरत है उसे मोरल स्पॉट करें और जिसे फिजिकली  हेल्प चहिए उसे फिजिकली हेल्प करें। देनें का सबसे बड़ा महत्व तो ये है कि जब हम किसी और की मदद करते हैं तो उस से पहले खुद की मद्त हो जाती है।  लेकिन किसी की मदद करते हुए ये जरूर सोचें कि  ये मदद आप क्यों कर रहे हो। मद्त सिर्फ इंसानियत के नाते करें इसे किसी लालच वस या अहसान जताने के लिए ना करें। वरना आप दोस्त से ज्यादा दुश्मन बन जाओगे। एक बात का धयान रहे कि एक हाथ से मदद करते हो तो दूसरे को पता भी नही लगना  चाहिए। वरना आप किसी की मदद कम करोगे और उसे कह अधिक दोगे। और आप का दूसरे लोगो से कहना ही मदद लेने वाले इंसान को अछा नही लगेगा।
 मै आपको अपने एक दोस्त की  आप बीती सुनती हू  मेरे दोस्त ने एक कंपनी डाली । उसे हेल्प की जरूरत थी उसने वो हेल्प अपने किसी बेस्ट फ्रेंड  से ली।  कुछ साल बाद उन दोनों के बीच में किसी तीसरे इंसान की वजह से कुछ दूरिया आ गईं ।  उसने सबके सामने  उसे नीचा दिखाना शुरू कर दिया और लोगो से बोलना शुरु किया  कि हमने इसे बसाया है, हमारे बिना ये कुछ नही कर सकता था।  इस बात से उसे  इतना दुःख हुआ की  वह यही सोचता की इससे अछा था की में उसकी मदद ना लेता  हमेशा उस दिन को कोसता है कि मैने उससे हेल्प क्यों ली  ?ऐसा तो नही था की उसके बिना वो काम न होता। उसने करके, सबसे कहकर कर, करे  कराए पर पानी फेर दिया। जबकि  मेरा   दोस्त उसका  दिल से अहसान मानता था।  और आपस में कोई बात भी नही थी लेकिन उसने  अहसान जता कर  अपनी सारी वेलू खत्म कर दी और कही न कही दोस्ती मे खटास आ गईं । और वह खुद को साबित करने के लिए  वह मदद करने वालो को इग्नोर करके खुद अपना रास्ता चुन कर आगे बढ़ गया । आज उन्हें लगता है कि वो उन्हें अहमियत नही देता ।  इस लिए कहते कि नेकी कर दरया मे फेंक।  अगर आप किसी की हेल्प करते हो तो  उसे बार  बार मत दोहराओ  ।
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